चैप्टर 15 चट्टानों में आग ~ इब्ने सफ़ी का हिंदी जासूसी उपन्यास

Chapter 15 Chattanon Mein Aag Ibne Safi Novel In Hindi

Chapter 15 Chattanon Mein Aag Ibne Safi Novel In Hindi

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आसमान में सुबह ही से सफेद बादल तैरते फिर  फिर रहे थे और इस वक्त सूरज की एक किरण की यादों के किसी कोने से नहीं झांक रही थी। मौसम काफी सुहावना था।

इंस्पेक्टर ख़ालिद की मोटरसाइकिल पलटन पड़ाव की तरफ जा रही थी। इमरान करियर पर बैठा ऊंघ रहा था और उसके चेहरे पर गहरी सोच के निशान थे। चेहरे से सादगी गायब हो चुकी थी। पलटन पड़ाव के करीब पहुँचते-पहुँचते ख़ालिद ने अपनी मोटरसाइकिल की रफ़्तार कम कर दी।

“आखिर हम वहाँ जाकर उन्हें ढूंढेंगे किस तरह?” ख़ालिद ने इमरान से कहा।

“ओफ्फो! ये एक सीआईडी इंस्पेक्टर पूछ रहा है!”

“इमरान साहब! इस मौके पर मुझे आपसे संजीदगी की उम्मीद है।”

“आहा…किसी न किसी ने ज़रूर कहा होगा कि दुनिया उम्मीद पर क़ायम है। वैसे इस इलाके में कोई ऐसा होटल भी है, जिसमें निचले तबके के लोग बैठते हों। अगर ऐसा कोई होटल हो, तो मुझे वहाँ ले चलो।”

इंस्पेक्टर ख़ालिद ने मोटरसाइकिल एक पत्नी से सड़क पर मोड़ दी, लेकिन अचानक इमरान ने उसे रोकने को कहा।

ख़ालिद ने जल्दी से मोटरसाइकिल रोक दी, क्योंकि इमरान के लहज़े में उसे घबराहट की झलक महसूस हुई थी। यह सुहावनी जगह थी। सड़क के दोनों तरफ समतल जमीन थी और वहाँ फूलों के बाग नज़र आ रहे थे। पलटन पड़ाव के उस हिस्से की गिनती सैरगाहों में होती थी।

ख़ालिद ने मोटरसाइकिल रोककर अपने पैर सड़क पर टिका दिये।

यकायक उसने मशीन भी बंद कर दी और फिर वह यह भूल गया कि मोटरसाइकिल इमरान ने वहाँ रूकवाई थी। उसे दाहिनी तरफ के एक बाग में एक लड़की देख ली थी, जो उसे आकर्षित करने के लिए रुमाल हिला रही थी। ख़ालिद मोटरसाइकिल से उतरता है बोला, “इमरान साहब ज़रा ठहरिये।”

“क्या वह तुम्हारी जान पहचान वाली है।” इमरान ने मुस्कुराकर पूछा।

“जी हाँ!’ ख़ालिद हँसता हुआ बोला।

“बहुत अच्छा! तुम जा सकते हो। मगर मोटरसाइकिल अकेली रह जायेगी।” इमरान ने कहा और बायें तरफ के बागों पर नज़र दौड़ता हुआ बोला, “मैं उधर जाऊंगा… उधर मेरी महदूदा…शायद मैं गलत कह रहा हूँ। क्या कहते हैं उसे, जिससे मोहब्बत की जाती है।”

“महबूबा!”

“महबूबा…महबूबा…इधर मेरी महबूबा…अच्छा…तो मैं चला।” इमरान मोटरसाइकिल के करियर से उतरता हुआ बोला।

बाई तरफ के एक बाग में उसे कुछ ऐसी शक्लें दिखाई दी थी, जिन्होंने अचानक उसके ज़ेहन में उस रात की याद ताजा कर दी थी, जब सोफ़िया को ऑरेंज स्क्वाश में कोई नशीली दवा दी गई थी। उनमें से एक को तो उसने बखूबी पहचान लिया था। यह वही था, जिसकी टक्कर वेटर से हुई थी। दो आदमियों के बारे में उसे संदेह था। वह यकीन के साथ नहीं कह सकता था कि ये दोनों उस सब इंस्पेक्टर के साथ थे या नहीं, जिन्होंने सुनसान सड़क पर उनकी कार रुकवाकर किसी बेहोश लड़की के बारे में पूछा था।

इमरान उन्हें देखता रहा। वे चार थे। उनके साथ कोई औरत नहीं थी। इमरान बाग के रखवाले से खूबानियों और सेबों की पैदावार के बारे में गुफ्तगू करने लगा।

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