चैप्टर 14 नीले परिंदे : इब्ने सफ़ी का उपन्यास हिंदी में | Chapter 14 Neele Parindey Novel By Ibne Safi ~ Imran Series Read Online

Chapter 14 Neele Parindey Novel By Ibne Safi

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वे लोग बेहोश सलीम को कोठी की तरफ ले जा चुके थे और अब लेबोरेटरी की इमारत के करीब इमरान के अलावा और कोई नहीं था। वह भी उनके साथ थोड़ी दूर तक गया, लेकिन फिर उनकी बेखबरी में लेबोरेटरी की तरफ पलट आया था। उन सब के ज़ेहन उलझे हुए थे और किसी को इसका होश नहीं था कि कौन कहाँ रह गया है…अलबत्ता जावेद मिर्ज़ा शौकत को वहाँ से खींचकर ले गया था।

लेबोरेटरी वाली इमारत का दरवाजा खुला हुआ था। इमरान अंदर घुस गया। उसकी टॉर्च जल रही थी। अंदर घुसते ही जिस चीज पर सबसे पहले उसकी नज़र पड़ी, वह एक रिवाल्वर था, जो इमरान ने पिछली रात शौकत के हाथ में देखा था। इमरान ने जेब से रुमाल निकाला और उससे अपनी उंगलियाँ ढकते हुए रिवाल्वर को नाल से पकड़ कर उठा लिया और फिर वह उसे अपनी नाक तक ले गया। नाल से बारूद की बू आ रही थी। साफ ज़ाहिर हो रहा था कि उससे कुछ देर पहले ही फायर किया गया है। फिर इमरान मैगज़ीन पर नज़र डाली। दो चेंबर खाली थे। उसने अपने सिर को थोड़ा सा हिलाया और रिवाल्वर को बहुत एहतियात से रुमाल में लपेटकर जेब में डाल लिया। फिर वह वहीं से लौट आया। आगे जाने की ज़रूरत ही नहीं थी। इतना ही काफ़ी था, बल्कि काफ़ी से भी ज्यादा।

इमरान कोठी की तरफ चल पड़ा। उसका ज़ेहन खयालों में उलझा हुआ था। अचानक वह रुक गया और फिर तेजी से लेबोरेटरी की तरह मुँह कर दौड़ने लगा।

“कौन है? ठहरो!” उसने पीछे से शौकत की आवाज सुनी। लेकिन इमरान रुका नहीं बराबर दौड़ता रहा। शौकत भी शायद उसके पीछे दौड़ रहा था।

“ठहर जाओ, ठहरो…वरना गोली मार दूंगा।” शौकत फिर चीखा।

इमरान लेबोरेटरी की इमारत के पास एक चक्कर लगाकर झाड़ियों में घुस गया और शौकत की समझ में ना आ सका कि वह कहाँ गायब हो गया।

शौकत ने अब टॉर्च जलाई और वह चारों तरफ उसकी रोशनी डाल रहा था, लेकिन उसने झाड़ियों में घुसने की हिम्मत नहीं की।

फिर इमरान ने उसे इमारत के अंदर जाते देखा। इमरान ठीक दरवाजे के सामने वाली झाड़ियों में था। उसने शौकत को दरवाजा खोलकर टोर्च की रोशनी में कुछ तलाश करते देखा।

अब इमरान शौकत को वहीं छोड़कर धीरे-धीरे कोठी की तरफ जा रहा था। उसने एक बार मुड़कर लेबोरेटरी की इमारत पर नज़र डाली। अब उसकी सारी खिड़कियों में रोशनी दिख रही थी।

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