चैप्टर 12 फ़रीदी और लियोनार्ड इब्ने सफ़ी का उपन्यास जासूसी दुनिया सीरीज़ | Chapter 12 Fareedi Aur Leonard Ibne Safi Novel

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फ़रीदी दिन भर इधर-उधर छुपता फिरा। अंधेरा होते ही वह उसी शराबखाने में फिर जा पहुँचा। उसने बहुत कोशिश की कि किसी तरह प्रिंस अदनान से गज़ाला का पता मालूम हो जाये, लेकिन वह इसमें कामयाब न हो सका। थक-हारकर उसने अपने कमरे का रुख किया। वहाँ उसने प्रिंस अदनान का भेष बदला और उसके मकान की तरफ रवाना हो गया। आज उसने शराबियों की नकल नहीं की। फाटक ही पर उसे वही दोनों आदमी दिखाई दिए, जो उसे पिछली रात उठा कर ले गए थे।

“सरदार!” उनमें से एक आगे बढ़कर बोला, “उस लड़की ने तो नाक में दम कर रखा है। सुबह से कुछ नहीं खाया और शाम को दीवार से अपना से टकराकर जख्मी हो गई।”

लड़की का ज़िक्र सुनकर फ़रीदी के कान खड़े हो गए।

“अच्छा चलो, चल कर देखता हूँ।” फ़रीदी ने घर के अंदर दाखिल होते हुए कहा।

वह थोड़ी दूर चलता रहा फिर अचानक चीख मारकर गिरा। दोनों उसकी तरफ लपके।

“क्या हुआ सरदार?”

“चलते वक्त पैर मुड़ गया है।” फ़रीदी ने कहा, “ज़रा पैर खींचो, शायद कोई नस चढ़ गई है।”

एक ने उसका पैर पकड़ कर दो तीन झटके दिए। फ़रीदी मुश्किल से खड़ा हुआ और लगड़ा लंगड़ा कर चलने लगा।

“अरे आगे चलो भई! तुम कब तक मेरे पीछे रेंगते रहोगे।” फ़रीदी ने झल्लाकर कहा।

“मेरे ख़याल से तो इस वक्त आराम कीजिये। सुबह देखा जायेगा।” एक ने झल्लाकर कहा।

“फालतू मत बको।” फ़रीदी ने कहा, “चलो चल कर उसे देखें…कहीं वह खुदकुशी न कर बैठे कि बना बना खेल बिगड़ जाये।”

वे दोनों आगे आगे चल रहे थे और फ़रीदी उनके पीछे लंगड़ाता जा रहा था।

एक कमरे में पहुँचकर दोनों ने फर्श पर बिछे हुए कालीन को हटाया और उस जगह पर जुड़े हुए तख्ते को उठाने लगे। रखता हटते ही एक तहखाने का रास्ता नज़र आया। दोनों सीढ़ियाँ नीचे उतरने लगे। फ़रीदी भी धीरे-धीरे कराहता हुआ उनका साथ दे रहा था। उतरने के बाद वह एक बहुत बड़े कमरे में पहुँचे, जहाँ चारों तरफ बहुत ही छोटे-छोटे कमरे बने हुए थे। दोनों में एक ने बढ़कर एक कमरे का दरवाजा खोला। कमरे में बल्ब जल रहा था। दोनों गेट के दोनों तरफ खड़े हो गए और प्रिंस अदनान लंगड़ाता हुआ कमरे में दाखिल हुआ। एक औरत सिर झुकाये बैठी थी। उसने आहट सुनकर भी अपना सिर नहीं उठाया। फ़रीदी फिर गेट की तरफ वापस लौटा और उन दोनों को चले जाने का इशारा करके फिर वापस आ गया। उसने धीरे से औरत के सिर पर हाथ रखा और वह उछलकर खड़ी हो गई। यह गज़ाला थी।

“खबरदार, मुझे हाथ मत लगाना।” वाह बिफरकर बोली, “उसके माथे के ज़ख्म पर खून जम गया था। बाल उलझे हुए थे…चेहरा वीरान था, आँखें किसी डरी हिरानी की आँखों की तरह मालूम हो रही थी।

“क्या तुमने अपना सिर क्यों फोड़ लिया।” फ़रीदी ने धीरे से पूछा।

“तुमसे मतलब!” वह गरज कर बोली।

“खाना क्यों नहीं खाया?”

“मेरी खुशी!”

“आखिर इस तरह बिगड़ क्यों रही हो?” फ़रीदी ने कहा।

“जाओ जाकर अपना काम करो। मैं बेकार बातें नहीं करना चाहती।”

“तो क्या तुम नहीं जानती कि मैं तुमसे कितनी मोहब्बत करता हूँ।”

“अच्छा यह कब से?” गज़ाला तेवर में बोली।

“जिस दिन से तुम्हें देखा है।”

“अच्छा तो कान खोलकर सुन लो। अगर अब तुमने इस किस्म की बात की, तो मैं खुदकुशी कर लूंगी या तुम्हारा गला घोट दूंगी।”

“हुस्न गुस्से में बड़ा भला मालूम होता है।”

“दूर हो जा यहाँ से कमीने कुत्ते कहीं के।” वह गरजकर बोली।

“देखो, मेरा कहना मान लो। मैं तुम्हें आजाद कर दूंगा।”

“ऐसी आजादी पर मैं मौत को अच्छा समझती हूँ।”

“तुम्हारे इस ख़याल से मुझे खुशी हुई।” फ़रीदी ने कहा, “घबराओ नहीं, तुम बहुत जल्द रिहा हो जाओगी।”

गज़ाला हैरत से उसका मुँह देखने लगी। यह चीज उसकी समझ से बाहर थी कि प्रिंस अदनान अचानक कैसे बदल गया।

“मैं अदनान नहीं फ़रीदी हूँ।” फ़रीदी ने धीरे से कहा, “अदनान मेरी कैद में है।”

“ओह! अब तुम यह दूसरी चाल चल रहे हो।” गज़ाला कुढ़ कर बोली, “लेकिन इतना याद रखो कि तुम मुझ पर किसी तरह कामयाब नहीं हो सकते।”

फ़रीदी हँसने लगा। उसने उसे सारी कहानी सुना दी। वह हैरत से मुँह खोले सुन रही थी।

“यह तो बहुत बुरा हुआ कि उन कमबख्तों ने वालिद साहब को भी इसकी खबर दे दी।” गज़ाला बोली।

“लेकिन तुम इत्मीनान रखो। मैंने उन्हें तुम्हारी बेगुनाही का यकीन अच्छी तरह दिला दिया है।”

“मगर मैं किस तरह यकीन करूं कि आपके प्रिंस अदनान नहीं हैं।” गज़ाला अविश्वास से बोली।

“यह लो वे तस्वीरें, जो मैंने प्रिंस अदनान से हासिल की है।” फ़रीदी ने जेब से एक लिफ़ाफा निकालकर गज़ाला की तरफ बढ़ा दिया।

वह लिफ़ाफे से तस्वीरें निकाल कर देखने लगी।

“अब लाओ…मैं इन्हें जला दूं।” फ़रीदी ने उसके हाथ से तस्वीरें देखें जला दी।

“कहो अब यकीन आया।”

गज़ाला ने सिर हिलाया।

“तो फिर मुझे यहाँ से छुटकारा कब मिलेगा?” वह बोली।

“बहुत जल्द! ज़रा वह शख्स कब्जे में आ जाए, जो इस सारे गोरखधंधे का सरगना है।” फ़रीदी ने कहा, “हाँ, ये तो बताओ कि तुम उस दिन होटल में से अचानक गायब किस तरह हो गई थी।”

“यह भी एक अजीबोगरीब दास्तान है। जैसे ही मैं बाथरूम से निकली, मुझे वालिद साहब दिखाई दिये। मैं परेशान हो गई। मैं दरअसल उनसे यह कह कर आई थी कि मैं खाला के यहाँ दिल्ली जा रही हूँ। उन्होंने वहाँ मेरी मौजूदगी का सवाल पूछा, जिसका मैं कोई सही जवाब न दे सकी। उन्होंने मुझे वापस चलने के लिए कहा और मैं उनके साथ हो ली। वहाँ टैक्सी खड़ी थी। हम दोनों उस पर बैठ कर चल दिए। उन्होंने मुझसे कहा कि वह मुझे अपने एक दोस्त के यहाँ ले जा रहे हैं और फिर मुझे कुछ अच्छी तरह याद नहीं कि मैं इस तहखाने में किस तरह पहुँची।

गज़ाला खामोश हो गई।

“और यही वजह है कि अब जल्दी से किसी बात पर यकीन कर लेने को दिल नहीं चाहता।” गज़ाला बोली।

“लेकिन मेरी बातों पर यकीन न करने की भी कोई वजह नहीं हो सकती।” फ़रीदी ने कहा, “मैं अपना मेकअप बिगाड़ना नहीं चाहता, वरना अभी अपनी असली सूरत दिखा देता।”

गज़ाला खामोश रही।

“आओ, मैं तुम्हारा ज़ख्म धोकर पट्टी बांध दूं।” फ़रीदी ने कहा।

गज़ाला कुछ नहीं बोली। फरीदी ने स्टूल पर रखा हुआ पानी का जग उठाया और रुमाल तरकर के ज़ख्म धोने लगा। गज़ाला आँखें बंदकर बैठी रही। दो मोटे-मोटे आँसू उसकी आँखों से निकलकर चेहरे पर बह चले।

“अरे, तो तुम रोती क्यों हो।” फ़रीदी ने कहा, “घबराओ नहीं, तुम्हें यहाँ सिर्फ दो एक दिन और रहना पड़ेगा।”

गज़ाला फिर भी कुछ न बोली।

“ठहरो, मैं पट्टियाँ और बैंड ऐड ले आऊं।” फ़रीदी ने कहा और कमरे से निकल आया। अभी वह कुछ पता चला था कि तभी उसे ऐसा मालूम हुआ, जैसे कोई अंग्रेजी में कुछ कह रहा हो। वह पलट पड़ा। जिस कमरे से आवाज आ रही थी, उसके शीशे से झांककर उसने देखा, एक शख्स उसकी तरफ पीठ कर बैठा कुछ पढ़ रहा था। फ़रीदी ने दरवाजा खोलना चाहा, मगर बाहर से ताला बंद था। फ़रीदी ने इतना अंदाज़ा जरूर लगाया कि वह कोई अंग्रेज हैं।

फ़रीदी तहखाने से निकलकर उन दोनों आदमी को तलाशने लगा। दोनों कमरे में बैठे हुए शराब पी रहे थे।

फ़रीदी को देखते ही दोनों घबरा कर खड़े हो गए। उनके अंदाज़ से ऐसा मालूम हो रहा था, जैसे फ़रीदी अचानक कमरे में पहुँच गया हो।

“आज जी भर कर पियो मेरे शेरों..आज मैं बहुत खुश हूँ।” फ़रीदी ने कहा, “लेकिन पहले ज़रा एक काम कर दो।”

“कहिए!” एक बोला।

“फर्स्ट ऐड बॉक्स लाओ।” फ़रीदी ने कहा, “और नंबर बारह की चाबी।”

उनमें से एक बाहर चला गया और दूसरे ने चाबी निकालकर फ़रीदी को दे दी। फ़रीदी एक कुर्सी पर बैठ कर दूसरे आदमी का इंतज़ार करने लगा।

कुछ मिनट बाद वह वापस आया। उसके हाथ में मरहम-पट्टी का सामान रखने वाला एक बक्स था। फ़रीदी बक्स लेकर तहखाने की तरफ चला गया। दोनों फिर बैठ कर शराब पीने लगे।

फ़रीदी ने गज़ाला की मरहम पट्टी की और दूसरे कमरे की तरफ चला गया।

जैसे ही वह दरवाजा अकोलकर अंदर गया, उसके मुँह से हैरत की चीख निकल गई और उसका चेहरा खुशी से झूमने लगा।

अंदर बैठा अंग्रेज जैक्सन था। वह देखने में बहुत दुबला और कमजोर लग रहा था।

फ़रीदी को देखकर उसने नफ़रत से मुँह सिकोड़ लिया।

“तो मेरा शक सही निकला।” फ़रीदी धीरे से बड़बड़ाया, “कहिए मिस्टर जैक्सन, कैसे मिज़ाज हैं?” फ़रीदी ने कहा।

“ठीक हूँ।” जैक्सन ने लापरवाही से कहा।

जैक्सन उसकी तरफ देखने लगा।

“आप यहाँ किस तरह आए?” फ़रीदी ने पूछा। वह भी भूल गया था कि वह उस वक्त प्रिंस अदनान के भेष में था।

“क्या मतलब?” जैक्सन ने बुरी आवाज में कहा, “क्यों मेरा मज़ाक उड़ाने की कोशिश कर रहे हो।”

“मैं फ़रीदी हूँ।” फ़रीदी ने झुककर धीरे से कहा।

“अरे!” जैक्सन उछलकर खड़ा हो गया।

“जी हाँ!”

“मगर तुम…मगर तुम!”

“जी हाँ! मैं प्रिंस अदनान के भेष में हूँ और वह मेरी कैद में है।”

जैक्सन फ़रीदी से लिपट गया।

“मैं सच कहता हूँ मिस्टर फ़रीदी कि ख़ुदा के बाद मुझे सिर्फ तुम्हारी जात से इसकी उम्मीद थी।” जैक्सन मोहब्बत से बोला।

“लेकिन आप यहाँ किस तरह?” फ़रीदी ने कहा।

“अस्पताल से छुट्टी होने में कुछ दिन बाकी थे कि अचानक एक दिन मैंने खुद को यहाँ इस कोठरी में पाया और इसके अलावा मैं कुछ और नहीं जानता।”

“आप कुछ बता सकते हैं कि आप किस की कैद में है।”

“नहीं बिल्कुल नहीं!” जैक्सन ने कहा।

“आप लियोनार्ड की कैद में हैं।”

“लियोनार्ड!” जैक्सन उछलकर बोला, “वह यहाँ कहाँ?”

“वह यहाँ के नवाबों और राजाओं को ब्लैकमेल करने के लिए आया हुआ है और आजकल आपका काम अंजाज़ा दे रहा है।”

“क्या मतलब?”

“वह आपके भेष में जासूसी विभाग के सुपरिटेंडेंट का फर्ज निभा रहा है।”

जैक्सन हैरत से फ़रीदी का मुँह देखने लगा।

“मिस्टर फ़रीदी! अगर तुमने उसे गिरफ्तार कर लिया, तो तुमने न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि पूरे ब्रिटिश एंपायर के बहुत बड़े आदमी होगे।” जैक्सन ने फ़रीदी का हाथ दबाते हुए कहा।

“अच्छा आप थोड़ी देर ठहरिए।” फ़रीदी ने कहा, “मैं इसी वक्त आपको ले चलूंगा और आज ही रात लियोनार्ड को गिरफ्तार करने की कोशिश करूंगा। वरना मालूम नहीं कल क्या होगा। बहुत ज्यादा चालाक आदमी है।”

फ़रीदी तहखाने से निकल कर सीधा प्रिंस अदनान के सोने वाले कमरे में गया और ट्रांसमीटर खोल कर उस के सामने बैठ गया।

“तो क्या बात है?” ट्रांसमीटर से आवाज आई।

“सब ठीक है।” फ़रीदी बोला, “लड़की की दूसरी तस्वीरें ले ली गई है। आज वह दीवार से टकराकर काफ़ी जख्मी हो गई है।”

“इन सब बातों की परवाह न करो।” ट्रांसमीटर से आवाज आई, “यह बताओ किसी और ने भी संपर्क किया या नहीं।”

“अभी तक नहीं।” फ़रीदी बोला।

“अच्छा कल मैं तुम्हें एक बात बताऊंगा।” ट्रांसमीटर से आवाज आई, “और हाँ एक नई खुशखबरी सुनो। फ़रीदी पागल हो गया।”

“वाकई!” फ़रीदी चहककर बोला।

“अहन, मेरी स्कीम कामयाब हो गई। अब यहाँ तुम्हें किसी से डरना नहीं चाहिए।”

“यह बहुत अच्छा हुआ।” फ़रीदी ने कहा।

“कल रात को ठीक नौ बजे अपने कमरे में मौजूद रहना। ट्रांसमीटर से आवाज आई और फिर बंद हो गई। फ़रीदी ट्रांसमीटर बंद करके उस कमरे में आया, जहाँ दोनों शराब पी रहे थे। वह दोनों जमीन पर औंधे पड़े और करीब ही तीन-चार खाली बोतलें पड़ी हुई थी।

फ़रीदी जैक्सन और गज़ाला को लेकर सीधा कलेक्टर के बंगले पर पहुँचा। रात के लगभग ग्यारह बज गए थे। कलेक्टर सो चुका था। लेकिन फ़रीदी के कहने पर नौकरों ने उसे जगा दिया।

फ़रीदी और जैक्सन की दास्तान सुनकर कलेक्टर उछल पड़ा।

उसी वक्त एक घंटे के अंदर अंदर मिस्टर जैक्सन के बंगले पर छापा मारने का इंतज़ाम किया गया। लियोनार्ड पर अचानक उस वक्त पुलिस टूट पड़ी, जब वह जैक्सन के भेष में उसके सोने वाले कमरे में पड़ा खर्राटे ले रहा था। उसी वक्त फ़रीदी ने प्रिंस अदनान के शराब खाने से लाए जाने का इंतज़ाम किया। फिर दोनों हवालात में बंद कर दिया गए।

फ़रीदी ने उसी रात को नवाब रशीदुज्ज़मा को तार दिलवाया। दूसरे दिन सुबह वे भी पहुँच गए। गज़ाला शर्मिंदगी की वजह से सिर नहीं उठा रही थी। रशीदुज्ज़मा उससे लिपट कर फूट-फूट कर रोने लगे।

“मगर जनाब!” हमीद फ़रीदी से बोला, “अगर इस दिन कहीं मैं आपके पिस्तौल का निशाना बन गया होता, तो इस वक्त आप की कामयाबी पर तालियाँ कौन बजाता?”

“अच्छा तो क्या आप मुझे इतना अनाड़ी निशानेबाज समझते हैं।” फ़रीदी बोला।

“लेकिन मैं आपसे सच कहता हूँ, मैंने पागलपन का इतना अच्छा रोल आज तक नहीं देखा।” हमीद ने कहा।

“अरे तुमने अभी देखा है क्या है!”

“ज़रा कान इधर लाइए।” हमीद ने धीरे से कहा।

फ़रीदी सिर झुका कर सुनने लगा।

“गज़ाला के बारे में क्या ख़याल है?” हमीद ने धीरे से उसके कान में कहा और फ़रीदी ने उसकी पीठ पर एक घूंसा जड़ दिया।

**End**

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