चैप्टर 11 प्यार का पागलपन रोमांटिक नॉवेल | Chapter 11 Pyar Ka Pagalpan Romantic Novel In Hindi
Chapter 11 Pyar Ka Pagalpan Romantic Novel In Hindi
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20 जुलाई 2012
बाल भवन पब्लिक स्कूल, भोपाल
शुक्रवार का दिन था। स्कूल के प्लेग्राउंड में लड़के-लड़कियों का जमवाड़ा लगा हुआ था। ये कक्षा बारहवीं के स्टूडेंट्स थे और उनका गेम्स पीरियड चल रहा था। शनिवार की पीटी क्लास से नदारत रहने की वजह से प्रिंसिपल सर ने उनके लिए शुक्रवार को शुरुवाती दो पीरियड्स के बाद गेम्स के दो पीरियड्स रख दिए थे, जिससे भाग पाना उनके लिए ज़रा मुश्किल था।
ग्राउंड में क्रिकेट का मैच चल रहा था, जिसमें एक टीम आर्ट्स एंड कॉमर्स सेक्शन के स्टूडेंट्स की थी और दूसरी साइंस सेक्शन यानी बायो और मैथ्स सेक्शन के स्टूडेंट्स की थी। पाँच ओवर के मैच में साइंस सेक्शन ने बैटिंग करके पचास रन बनाये थे और स्कोर को चेज़ करती आर्ट्स एंड कॉमर्स सेक्शन की टीम ने अब तक पैंतालीस रन बना लिए थे। मैच जीतने के लिए उन्हें छः रन बनाने थे और अब मैच की बस आखिरी बॉल बची हुई थी।
माहौल गर्म था और सबसे दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थी। उन धड़कनों को और बढ़ाते हुए ग्रे कलर की घुटनों तक की स्कर्ट, वाइट शर्ट, ग्रे टाई पहने दो चोटी वाली एक गोरी-चिट्टी सुंदर-सी लड़की ग्राउंड के बीच में से होकर उस तरफ जाने लगी, जहाँ कई स्टूडेंट्स खड़े होकर मैच देख रहे थे।
बॉलिंग के लिए रन-अप लेते लड़के के कदम थम गए और नज़र उस लड़की पर जम गई। बैटिंग कर रहे लड़के की नज़र भी उस पर ही थी।
“हुंह…लो आ गई नैना खन्ना! जहाँ देखो, इसे स्टाइल मारनी है। दिखाई नहीं देता मैच चल रहा है। मॉडलिंग करते हुए ग्राउंड के बीच में से आने की क्या ज़रूरत थी। मैच रुक गया ना इसकी वजह से।“ साइंस सेक्शन की सोनी मुँह बनाते हुए बोली।
“लड़कों को अपने पीछे भगाना रहता है इसे। इसलिए तो ऐसे नाटक करती है। फिर कहती है कि लड़के परेशान करते हैं। बड़ा घमंड है अपनी खूबसूरती का।“ सोनी की सहेली काजल बोली।
“खूबसूरत है तो क्या हुआ, दिमाग में तो भूसा भरा हुआ है। घिसट-घिसट कर तो आर्ट्स मिला है इसको। हम साइंस वाले हैं…इंटेलीजेंट हैं…फिर भी सारे लड़कों को देखो, उसी के पीछे भागना है…नैना हमसे फ्रेंडशिप कर लो…नैना हमसे फ्रेंडशिप कर लो…एक वही तो दोस्त है…हम तो जन्म-जन्म के दुश्मन हैं….” सोनी की इन बातों से जलन साफ झलक रही थी।
उनकी बातें क़रीब ही खड़ी एक साधारण शक्ल सूरत वाली सांवली-सी लड़की सुन रही थी। वह पलटकर बोली, “जलती हो तुम लोग नैना से….इसलिए बकवास करती हो….”
“चुप कर घुंघरू….नैना की चमची….” सोनी और काजल एक साथ बोली।
“हुंह!” घुंघरू ने मुँह बना लिया।
“हुंह!” सोनी और काजल ने मुँह फेर लिया।
इधर नैना को देखकर लड़कियाँ आपस में झगड़ रही थीं। उधर मैच खेल रहे लड़के भी एक-दूसरे को चैलेंज दे रहे थे।
“बेटा…अबकी बाउंसर है….तेरा विकेट भी उड़ाऊंगा…मैच भी जीतूंगा और नैना की नज़र में हीरो भी बनूंगा।“ बॉलिंग करने वाला लड़का लकी हाथ में बॉल उछालते हुए बोला।
“भूल जा….तेरी बॉल बाउंड्री पार मारूंगा….मैन ऑफ़ दि मैच भी बनूंगा और नैना का परफेक्ट मैच भी….” क्रीज़ पर बल्ला थामे खड़ा लड़का यश बल्ला घुमाकर बोला।
लकी यश को घूरते हुए अपना रन-अप लेने चला गया। यश ने विकेट के सामने अपनी पोजीशन ले ली। लकी ने लंबा रन-अप लिया और फुल-टॉस बॉल फेंकी। यश ने पूरा ज़ोर लगाकर बल्ला घुमाया और बॉल को बाउंड्री की तरफ वहीं हिट किया, जहाँ से नैना जा रही थी। बॉल तेज रफ़्तार से सीधे नैना की तरह बढ़ी। ये देखकर घुंघरू चिल्लाई –
“नैना बच के…बॉल….”
नैना हड़बड़ाकर तेजी से बॉल की तरफ घूमी और बॉल को एक हाथ से कैच कर लिया। उसके बॉल कैच करते ही एक पल के लिए ग्राउंड में सन्नाटा छा गया। क्रीज़ पर खड़ा यश फ्रीज़ हो गया, ये सोचकर कि कहीं वो आउट तो नहीं। मगर फिर उसे ध्यान आया कि नैना तो किसी भी टीम में नहीं है। अंपायर बने लड़के ने भी आउट का सिग्नल नहीं दिया था। यश रन लेने के लिए दौड़ गया। उसे दौड़ता देख लकी तेज़ आवाज़ में चिल्लाया, –
“नैना बॉल फेंक!”
नैना बॉल पकड़े खड़ी रही। कुछ देर में बॉल पकड़ने के लिए दौड़ा लड़का नैना के पास पहुँचा और हाँफते-हाँफते बोला, “बॉल!”
नैना ने ऊपर से नीचे तक उस पर नज़र घुमाई। वह एक मोटा और थुलथुल लड़का था, जिसका पेट शर्ट के बटन तोड़कर बाहर आने को बेचैन था। बेचारा धीरे-धीरे दौड़ता हुआ आ रहा था, इसलिए उसे बॉल तक पहुँचने में देर हो गई थी।
“कौन से सेक्शन के हो?” नैना ने आँखें तरेरकर पूछा।
“साइंस!” लड़के ने धीरे से कहा और सिर झुका लिया। वह नैना की आँखों में गुस्सा देखकर घबरा गया था।
“बैटिंग कौन कर रहा है?” नैना ने पूछा।
“आर्ट्स एंड कॉमर्स!” उसने सिर झुकाये हुए ही जवाब दिया।
“तो जीतेगा कौन?”
लड़का सिर उठाकर हैरानी से नैना को देखने लगा।
“आर्ट्स एंड कॉमर्स!” नैना मुस्कुराकर बोली और बॉल बाउंड्री के पार फेंक दी।
“ये….हुर्रे…” यश के साथ आर्ट्स एंड कॉमर्स सेक्शन के सारे लड़के ख़ुशी से झूम उठे।
“चीटिंग…चीटिंग….!” चीखते हुए साइंस वाले लड़के उनसे भिड़ गये।
नैना के पास खड़ा मोटा लड़का बॉल उठाने के लिए दौड़ गया, जो कुछ ही दूरी पर पड़ी हुई थी। बॉल के क़रीब पहुँचकर जैसे ही वो बॉल उठाने के लिए झुका, चिकनी दूधिया टांग बॉल के ऊपर आकर जम गई। लड़के की नज़र टांगों से होती हुई जब चेहरे पर गई, तो देखा, सामने नैना मुस्करा रही है।
लड़के ने सीधे खड़े होकर बेचारगी से नैना को देखा।
“क्या करोगे अब बॉल का…हार तो गये।“ नैना ने भौंहें उचकाकर कहा।
“वापस करनी है बॉल…बैट और सारे सामान के साथ….!” लड़का हिचकते-हिचकते बोला।
“बॉल चाहिए?”
“हाँ!”
“ये लो!’ नैना ने पैर से बॉल को हिट कर दिया। बॉल लुढ़कती हुई दूर चली गई। मोटा लड़का बॉल के पीछे भागा। उसे भागते देखकर नैना हँस पड़ी और घुंघरू से बोली, “हाथी को बॉल के पीछे भागते हुए देखा है….नहीं…तो वो देख…!”
घुंघरू भी हँस पड़ी। कुछ देर वे उस मोटे लड़के को देखकर हँसते रहे। वह बॉल उठाकर चला गया, तब घुंघरू ने नैना से कहा, “नैना! अब खो-खो का मैच है ना!”
“हाँ यार! यहाँ तो आर्ट्स वालों को जिता दिया, वहाँ भी जिताना है। चल…!” नैना उसका हाथ पकड़कर चलने को हुई। मगर घुंघरू उसे रोककर बोली –
“तू चल नैना, मैं अभी आई। मुझे शुक्ला मैम ने स्टाफ रूम में बुलाया है।“
घुंघरू स्टाफ रूम की तरफ जाने के लिए मुड़ गई।
“जल्दी आना…!” पीछे से तेज आवाज़ में नैना चिल्लाई और ग्राउंड के उस हिस्से में चली गई, जहाँ खो-खो का मैच होना था। उस मैच में नैना भी खेलने वाली थी।
कुछ ही देर में खो-खो का मैच शुरू हो गया। आर्ट्स एंड कॉमर्स सेक्शन डिफेंडिंग टीम थी और साइंस सेक्शन चेज़िंग टीम। डिफेंडिंग टीम से जो पहले तीन डिफेंडर ग्राउंड में उतरे, उसमें नैना भी शामिल थी। मैच शुरू हुआ। चेज़िंग टीम की एक लड़की नैना को चेज़ करने लगी। नैना उसे सेण्टर लाइन के इधर-उधर छकाने लगी।
मैच देखने वालों में क्रिकेट में हारे लकी सहित साइंस सेक्शन के कई लड़के शामिल थे। उनकी नज़र नैना पर थी, पर इस बार उनकी नज़र में नाराज़गी और बदले का फ़ितूर था।
“इसकी वजह से हम हारे हैं। इसे तो मज़ा चखाना पड़ेगा।“ लकी ने कहा।
“हाँ यार! छोड़ेंगे नहीं इसे।“ उसका दोस्त बोला।
तभी चेज़र के आगे भागती हुई नैना उन लड़कों के क़रीब से गुज़री और उन्हें मौका मिला गया। लकी ने दौड़ती हुई नैना के सामने टांग अड़ा दी, जिसमें उलझकर नैना घुटनों के बल जमीन पर गिर पड़ी। चेज़ करती हुई लड़की उस तक पहुँच चुकी थी। वह उसकी पीठ पर ज़ोर से हाथ मारते हुए चिल्लाई, “आउट!” और वापस ग्राउंड के बीच में भाग गई।
नीचे गिरी नैना को देखकर लकी और उसके दोस्त ठहाके लगाने लगे। सोनी, काजल और वहाँ खड़ी साइंस सेक्शन की सारी लड़कियाँ भी नैना को इस हाल में देखकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। नीचे गिरी नैना को उनकी हँसी काटों की तरह चुभ रही थी। उसने उठने की कोशिश की, मगर घुटने में चोट की वजह से फिर गिर पड़ी। ये देखकर सबके ठहाकों की आवाज और तेज हो गई।
धूल में सनी पसीने से तर-बतर नैना को अपनी चोट का दर्द तो था ही, पर उससे ज्यादा दर्द इस बात था कि सब उस पर हँस रहे हैं, कोई उसकी मदद के लिए नहीं आ रहा। उसने ज़मीन पर अपने हाथों से दबाव बनाया और उठने की पुरज़ोर कोशिश की, मगर फिर गिर पड़ी। उसे अपनी बेचारगी पर रोना सा आ गया। आँसू रोकने के लिए उसने अपने हाथों से ग्राउंड की सूखी घास जकड़ ली।
‘घुंघरू कहाँ है तू?’ – वह घुंघरू को याद करने लगी। ठीक उसी समय आसपास जमा स्टूडेंट्स की भीड़ में से कोई नैना की तरफ बढ़ने लगा। उसके कदम नैना के सामने आकर रुक गये।
क्रमश:
क्या कोई करेगा नैना की मदद या उड़ेगा उसका मज़ाक? जानने के लिए पढ़िये अगला भाग।
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Author – Kripa Dhaani
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