चैप्टर 11 फ़रीदी और लियोनार्ड इब्ने सफ़ी का उपन्यास जासूसी दुनिया सीरीज़ | Chapter 11 Fareedi Aur Leonard Ibne Safi Novel

Chapter 11 Fareedi Aur Leonard Ibne Safi Novel

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फरीदी पागल हो गया

दूसरे दिन सुबह फ़रीदी अपने घर पहुँचा। उसने हमीद को पहले ही खबर दिलवा दी थी और अब उसके आने का इंतज़ार कर रहा था। हमीद की गैरमौजूदगी में घर उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। नाश्ते की मेज़ पर पहुँचकर उसने हमीद की कमी महसूस की।

“क्यों भई…ये बंगाली रसगुल्ले कहाँ से आये थे?” फ़रीदी ने मेज़ के करीब खड़े हुए नौकर से पूछा। उसे बंगाली रसगुल्ले बेहद पसंद थे।

“चीफ साहब ने आपके लिए भिजवाये हैं।” नौकर ने जवाब दिया।

फ़रीदी ने रसगुल्ला उठाया, लेकिन फिर फौरन ही रख दिया। वह कुछ सोच रहा था। ट्रांसमीटर पर बोलने वाले के शब्द अब तक उसके कानों में गूंज रहे थे और फिर आज से पहले कभी चीफ इंस्पेक्टर साहब ने इतनी मेहरबानी नहीं की थी। फ़रीदी ने एक रसगुल्ला उठाकर बैठे हुए कुत्ते के आगे डाल दिया। कुत्ता उसे खा कर दोबारा फ़रीदी की तरफ देखने लगा। फ़रीदी ने एक और डाल दिया। धीरे-धीरे उसने सारे रसगुल्ले उसे खिला दिए। थोड़ी देर बाद कुत्ता ऊंघने लगा। फ़रीदी चाय के घूट ले लेकर गौर से उसे देखता रहा। कुछ देर बाद अचानक कुत्ता चौंका और एक बड़े आईने में अपना चेहरा देख कर उस पर झपटा…वह आईने के सामने इस तरह उछल-कूद रहा था, जैसे किसी दूसरे कुत्ते से लड़ रहा हो। फ़रीदी के होठों पर थोड़ी सी मुस्कुराहट पैदा हुई। वह उठा और कमरे से निकल गया। कुछ नौकरों ने कुत्ते के शोर के बारे में उससे पूछा, लेकिन उसने उन्हें यह कहकर टाल दिया कि उसने एक चूहा पकड़ लिया है। उसे दूसरे कमरे में जाकर पिस्तौल निकाला और फिर कमरे में लौट आया। ऐसा मालूम हो रहा था, जैसे कुत्ता पागल हो गया हो। फ़रीदी ने पिस्तौल चला दिया। उसने छलांग लगाई और जमीन पर आ गिरा। गोली चलने की आवाज सुनकर कई नौकर कमरे की तरफ दौड़ आये। फ़रीदी का चेहरा लाल हो रहा था। लाल-लाल आँखें उबली पड़ रही थी। उसने नौकरों की तरफ देख कर एक डरावना कहकहा लगाया और उन्हें भी गोली मार देने की धमकियाँ देने लगा।

सारे नौकर डरकर इधर-उधर चले गये। फ़रीदी तरह-तरह की आवाजें निकालता हुआ उछल-कूद कर रहा था।

इतने में हमीद आ गया। फ़रीदी को इस हालत में देख कर उसे हँसी आ गई।

“क्यों बे उल्लू के पट्ठे, तू हँस क्यों रहा है?” फ़रीदी ने चीखकर कहा।

हमीद फौरन संजीदा हो गया। फ़रीदी ने आज तक उससे इस तरह की बात न की थी।

“अबे बोलता क्यों नहीं?” फ़रीदी फिर चीखा।

इस बार हमीद सिर से पैर तक कांप गया। इस बार उसने फ़रीदी की आँखों में एक बहुत ही भयानक किस्म की चमक देखी।

“अबे बोल!” फ़रीदी फिर गरजा।

“क्या बोलूं?” हमीद ने डरते-डरते कहा।

“अबे, वही बोल जो तुझे शैतान की मौसी ने सिखाया है।” फ़रीदी चीखा, “अबे बोल…बंदर की औलाद…कौड़ियाले सांप के भांजे।”

हमीद को फिर हँसी आ गई और फ़रीदी ने जेब से पिस्तौल निकालकर फायर कर दिया। गोली हमीद के दाहिने कान के करीब से निकल गई।
हमीद बदहवास हो कर भागा। फ़रीदी उसके पीछे दौड़ रहा था। हमीद ने बाथरूम में घुसकर दरवाजा बंद कर लिया। फ़रीदी दरवाजा पीटने लगा।

“अबे.. टमाटर के मौसा…दरवाजा खोल। वरना कच्चा खा जाऊंगा।” फ़रीदी चीखा।

घर के सारे नौकर उसकी ऐसी हालत देकर इधर-उधर छिपते फिर रहे थे।

“अच्छा बेटा.. न खोलो। दफ्तर से लौटकर तुम्हारी मरम्मत करूंगा।” फ़रीदी ने कहा और वहाँ से हट गया।

उसने पैजामे और कमीज पर टाई बांधी, एक पैर में काला जूता पहना और दूसरे में कत्थई और सिर पर गांधी टोपी रखकर दफ्तर की तरफ पैदल ही चल दिया।

रास्ते भर लोगों से देख देख कर हँसते रहे और वह उन्हें मुँह चिढ़ाता रहा।

दफ्तर में घुसते ही उसने हुल्लड़ मचाना शुरू कर दिया।

“आई एम द बेस्ट आई एम द बेस्ट!” वह चीख-चीख कर गा रहा था।

दफ्तर के सारे कर्मचारी उसके पास इकट्ठे हो गए थे। गाते-गाते उसने एक हाथ कमर पर रखा, दूसरा सिर पर और अंग्रेजी गाना गाता हुआ हिंदुस्तानी अंदाज में ठुमक-ठुमक कर चलने लगा।

लोग खड़े हँस रहे थे। बहुतेरों के जेहन में यह बात आई कि शायद वह जासूसी के सिलसिले में कोई नई चाल चल रहा है।
यह सिलसिला जारी था कि हमीद भी दफ्तर पहुँच गया। लोग उससे पूछने लगे।

“नहीं बिल्कुल नहीं…यह बहुरूपिया हरगिज नहीं हो सकता।” हमीद ने कहा, “अभी अभी उन्होंने मुझ पर पिस्तौल से वार किया था। अगर मैं एक तरफ न हो जाता, तो खोपड़ी साफ हो गई होती।

यह सुनकर बहुत से लोग डरकर फ़रीदी के पास से हट गए।

“तुम आ गए मेरे बेटे।” फ़रीदी हमीद की तरफ हाथ बढ़ाता हुआ बोला, “भाइयों मेरे पहले शौहर की औलाद है।”

फिर एक जोरदार हँसी हुई और हमीद झेंप कर हट गया।

आखिरकार यह हुल्लड़ इतना बढ़ा कि मिस्टर जैक्सन को अपने कमरे से बाहर निकल आना पड़ा।

“वेल मिस्टर फ़रीदी, क्या बात है?” जैक्सन ने उसे इस तरह देख कर हैरत ज़ाहिर करते हुए कहा।

“दिल का मेरी जान तुम्हारे इश्क में यह हाल हो गया है।” फ़रीदी ने उसकी तरफ बढ़कर उसे लिपटाने की कोशिश करते हुए कहा।

“क्या बद्तमीजी है?” जैक्सन उसे हटाते हुए गरज कर बोला।

“मार डालो मेरी जान, बस इसी अदा पर जान जाती है।” फ़रीदी ने अपने सीने पर हाथ मार कर कहा।

जैक्सन ने लोगों को पुकारा…वहाँ फिर भीड़ लग गई।

“शायद इसने बहुत ज्यादा पी ली है।” जैक्सन ने कहा।

“नहीं साहब! शायद इनका दिमाग खराब हो गया है।” एक आदमी बोला।

“अचानक दिमाग कैसे खराब हो गया।” जैक्सन ने पूछा।

“मुझे नौकरों की जबानी मालूम हस कि सुबह नाश्ते के वक्त अचानक उन पर इस किस्म का दौरा पड़ गया।” हमीद ने कहा, “पहले इन्होंने एक कुत्ते को मार डाला और फिर मुझ पर भी गोली चलाई।

“अरे!” जैक्सन ने कहा और डरी नज़रों से फ़रीदी की तरफ देखने लगा।

फ़रीदी अब भी खड़ा डरावने अंदाज में हंस रहा था।

जैक्सन ने लोगों को इशारा किया। दो-तीन लोग फ़रीदी पर टूट पड़े और थोड़ी देर बाद उसे बेबस कर दिया और फिर उसे एक कुर्सी में बांध दिया।

फ़रीदी को जितनी भी जबानें आती थी, वह उनमें एक के बाद एक बेतहाशा गालियाँ बक रहा था।

“कुछ यह भी बता सकते हो कि उन्होंने नाश्ते में क्या खाया था?” जैक्सन ने कुछ सोचते हुए हमीद से कहा।

“मैंने इसके बारे में नौकरों से पूछा था।” हमीद बोला, “टोस्ट, अंडे, जलेबी, मक्खन और कुछ सूखे मेवे… और हाँ बंगाली रसगुल्ले, जो चीफ इंस्पेक्टर साहब ने भिजवाये थे।”

“मैने?” चीफ इंस्पेक्टर ने हैरत से कहा, “मैंने तो नहीं भिजवाये थे।”

“जी!” हमीद ने चौंक कर कहा।

“हाँ भई, मैंने नहीं भिजवाये थे।”

“अच्छा, तो यह बात है.. यह सब उन्हीं रसगुल्लों की करामात है। यह जरूर उनके किसी दुश्मन की हरकत है।” हमीद ने कुछ सोचते हुए कहा।

“क्या उन रसगुल्लों में से कुछ बचा भी है।” जैक्सन ने कहा।

“मेरे खयाल से तो नहीं।”

“इन्हें फौरन हस्पताल ले चलना चाहिए।” जैक्सन ने कहा।

इस दौरान फ़रीदी बेहोश हो चुका था।

लोगों ने उसे कुर्सी से खोला और स्ट्रेचर पर डाल कर हस्पताल की तरफ ले चले। चूंकि हस्पताल करीब ही था, इसलिए उन लोगों ने पैदल ही जाना मुनादिव समझा। अभी थोड़ी ही दूर गए होंगे कि फ़रीदी स्ट्रेचर से कूद कर भागा…लोगों ने उसका पीछा करना चाहा, लेकिन उसने उन्हें पेंच दर पेंच गलियों में ऐसे ऐसे चक्कर दिए कि उन्हें थक-हार कर लौट ही जाना पड़ा।

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