चैप्टर 11 चट्टानों में आग ~ इब्ने सफ़ी का हिंदी जासूसी उपन्यास

Chapter 11 Chattanon Mein Aag Ibne Safi Novel In Hindi

Chapter 11 Chattanon Mein Aag Ibne Safi Novel In Hindi

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इंस्पेक्टर ख़ालिद ने बहुत जल्दी में फोन का रिसीवर उठाया।

“मैं खालिद हूँ।” उसने माउथपीस में कहा, “क्या आप फ़ौरन मुझे वक्त दे सकेंगे।”

उसी तेजी से रिसीवर रखा और कमरे से निकल गया।

डीएस के अर्दली ने उसके लिए चिक उठाई और वह अंदर चला गया।

डीएस ने सिर के इशारे से बैठने को कहा और पाइप को दांतों से निकालकर आगे झुक गया।

“कनक ज़रगाम का मामला बहुत ज्यादा उलझ गया है।” ख़ालिद बोला।

“क्यों? कोई नई बात?”

“जी हाँ और बहुत ज्यादा अहम। मैंने कर्नल के नौकरों को टटोलने की कोशिश की थी। आखिर एक ने उगल ही दिया। कर्नल कहीं बाहर नहीं गया, बल्कि यकबयक ग़ायब हो गया है।”

“खूब!” डीएस ने पाइप ऐश ट्रे में उलटते हुए कहा और ख़ालिद की आँखों में देखने लगा।

“वह अपने मेहमानों को लेने के लिए अकेला स्टेशन गया था, फिर वापस नहीं आया।”

“वाह!” डीएस उंगली से मेज़ खटखटाता हुआ कुछ सोचने लगा। फिर उसने कहा, “उसके घरवालों को तो बड़ी फ़िक्र होगी?”

“कतई नहीं। यही तो हैरत की बात है।”

“आ ह्म्म!” डीएस ने पैर फैलाकर लंबी अंगड़ाई ली और कुर्सी की पीठ से टिक गया।

“फिर तुम्हारा क्या ख़याल है?” डीएस ने थोड़ी देर बाद पूछा।

“मैं अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सका।”

“वाह, यह भी कोई मुश्किल मसला है।” डीएस मुस्कुराया, “कर्नल ज़रगाम भी शिफ्टेन की धमकियों से न बचा होगा। लेकिन वह ग़ायब हो गया। उसने पुलिस को ख़बर नहीं दी। दूसरों ने पुलिस को ख़बर दी थी और वे सब मौजूद हैं। इस लाइन में सोचने की कोशिश करो।”

“मैं सोच चुका हूँ।”

“और फिर भी किसी ख़ास नतीजे पर नहीं पहुँचे।”

“जी नहीं!”

“कमाल है! अरे भाई यह तो बहुत ही साफ इशारा है।”

“आपकी रहनुमाई कीजिए। मेरी तो अभी शुरुआत है। आप ही से तो सीखना है मुझे।” ख़ालिद ने कहा।

“देखो…तुम तो ऐसे आदमियों के नाम धमकी के खत लिखो, जिनमें से एक तुम से वाकिफ़ हो और दूसरा नावाकिफ़…तुम अपनी मौजूदा हैसियत में दोनों को लिखते हो कि वे ख़तरे में हैं और किसी वक्त भी गिरफ्तार किए जा सकते हैं। वह शख्स जो तुम्हें नहीं जानता, उसे मज़ाक समझेगा। यही सोचेगा कि किसी ने उसे बेवकूफ बनाया है। लेकिन उस शख्स पर उसका क्या असर होगा, जो तुमसे और तुम्हारे ओहदे से बखूबी वाकिफ़ है।”

“बदहवास हो जायेगा।” ख़ालिद बोला।

“ठीक? उसी तरह शिफ्टेन के मामले को ले लो। हमारे लिए भी यह नया नाम है। कर्नल हमारे पास शिकायत लेकर नहीं आया। इसका यह मतलब है कि वह शिफ्टेन से वाकिफ़ है और इस तरह ग़ायब हो जाने का मतलब हुआ कि शिफ्टेन इंततिहाई ख़तरनाक है। इतना ख़तरनाक की पुलिस भी उसका कुछ नहीं कर सकती।”

“मैं तो यह सोच रहा था कि कहीं कर्नल ज़रगाम ही शिफ्टेन न हो।” ख़ालिद ने कहा।

“अगर वह शिफ्टेन है, तो उसके बेवकूफ होने में कोई शुबहा नहीं।” डीएस बोला, “अगर वह शिफ्टेन नहीं है, तो उसे हमारे पास ज़रूर आना चाहिए था…नहीं…ख़ालिद वह शिफ्टेन नहीं है। वरना इस तरह ग़ायब न होता।”

“तो फिर अब मुझे क्या करना चाहिए?”

“कर्नल ज़रगाम को तलाश करो।”

कुछ दिन ख़ामोशी रही थी। फिर डीएस ने पूछा, “इमरान का क्या रहा?”

“कुछ नहीं। उसकी शख्सियत भी बड़ी अजीब है।”

डीएस हँसने लगा। फिर उसने कहा, “कैप्टन फैयाज़ ने मेरे तार का जवाब दिया है। इमरान के बारे में उसने लिखा है कि वह एक परले का बेवकूफ आदमी है। फैयाज़ का दोस्त है। यहाँ घूमने आया है। अक्सर हिमाकतों के सिलसिले में मुसीबतें मोल ले बैठता है। इसलिए फैयाज़ ने मुझे खत लिख दिया था कि अगर ऐसी कोई बात हो, तो उसकी मदद की जाये।”

“मगर साहब! वह कर्नल ज़रगाम का प्राइवेट सेक्रेट्री कैसे हो गया?”

“मुझे फैयाज़ की कहानी पर यक़ीन नहीं।” डीएस ने कहा, “ये फेडरल वाले कभी खुलकर कोई बात नहीं बताते।”

उसके बाद कमरे में गहरी ख़ामोशी छा गई।

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