चैप्टर 10 फ़रीदी और लियोनार्ड इब्ने सफ़ी का उपन्यास जासूसी दुनिया सीरीज़ | Chapter 10 Fareedi Aur Leonard Ibne Safi Novel

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रहस्यमय मकान

थोड़ी देर बाद फ़रीदी कमरे से निकला। उसने अपना चेहरा चेस्टर के कॉलर में छुपा के रखा था। शराबखाने से बाहर आकर उसने चेस्टर के कॉलर गिरा दिए। वह प्रिंस अदनान के भेष में था। उसने फुटपाथ पर कुछ देर खड़े होकर सोचा और फिर एक टैक्सी में बैठकर प्रिंस अदनान के मकान की तरफ चला गया।

अदनान जिस मकान में रह रहा था, वह एक बहुत पुरानी बिल्डिंग थी। उसके बारे में आम तौर पर मशहूर था कि वहाँ भूत-प्रेत का साया है। इससे पहले यहाँ एक बहुत ही अमीर आदमी रहता था। वह बिल्कुल अकेला था। उसके बारे में लोग कहते थे कि वह इस मकान में रहने वाले भूतों की की मदद से अमीर हो गया है। यह इमारत दरअसल शाही दौर की थी और शहर के एक नवाब खानदान से ताल्लुक रखती थी। किसी वजह से इस खानदान वालों ने उसे बेच दिया था। वजह कुछ भी रही हो, लेकिन आम लोगों में यह बात मशहूर हो गई थी कि उसका बेचना दरअसल भूतों वाला मामला ही था। जिस शख्स से खरीदा था, उसने उसे किराये पर उठा दिया। किरायेदार मकान में कुछ नौकरों के साथ अकेला रहता था, एक दिन सुबह अपने कमरे में मुर्दा पाया गया। इस वाकये से उस मकान के भुतहा होने की शोहरत में और इज़ाफा हो गया।

फिर उस मकान को प्रिंस अदनान ने किराये पर लिया और वहीं रहने लगा। मकान यूं ही कुछ संदिग्ध लगता था। फिर भूत वाले मामले ने उसे और भी भयानक बना दिया। प्रिंस अदनान जब उसे किराए पर ले रहा था, तो आसपास के लोगों ने उसे रोकने की कोशिश की थी। लेकिन उसने हँसकर टाल दिया था।

फ़रीदी इमारत के सामने पहुँचकर थोड़ी देर के लिए रुका। मेन गेट पर हाई पावर का बल्ब जल रहा था। एक तरफ चौकीदार बैठा ऊंघ रहा था। फ़रीदी खड़ा कुछ सोचता रहा, फिर आगे बढ़ा। उसके कदम एक ऐसे शराबी की तरह लड़खड़ा रहे थे, जैसे ज्यादा पी गया हो। उसने चौकीदार के पास पहुँचकर उसे ठोकर मारी। वह हड़बड़ाकर खड़ा हो गया।

“सूअर का बच्चा, सोता है।” फ़रीदी बिगड़ी हुई आवाज में चीखा।

“नहीं तो हुजूर!” चौकीदार ने सहमकर जवाब दिया।

“हुजूर का बच्चा… उल्लू का पट्ठा!” फ़रीदी बड़बड़ाता हुआ अंदर चला गया।

अब उसने भद्दी आवाज में एक अंग्रेजी का गाना शुरू कर दिया। उसे ऐसा महसूस होने लगा जैसे उसकी आवाज से सारी इमारत गूंज रही हो। शोरगुल सुनकर दो पहलवान उसके करीब आकर खड़े हो गये।

“क्या बात है सरकार?” एक आदमी ने गुजराती में पूछा।

“तुम्हारा सिर!” फ़रीदी ने भी गुजराती में चिल्ला कर कहा।

“आइए मैं आपको आपके सोने के कमरे पहुँचा दूं।” पहला आदमी बोला।

“अबे ओ गधे, तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या?” फ़रीदी झूमता हुआ बोला, “मैं मुर्गी का बच्चा हूँ…क्या समझा…मुझे मेरे दड़बे में पहुँचा दे।”

दोनों आदमियों ने मुस्कुराकर से झुका लिया।

“अच्छा तुम दोनों मुस्कुराते हो।” फ़रीदी ने जेब से पिस्तौल निकालकर कहा, “हैंड्स अप!”

दोनों गिड़गिड़ाते हुए उसके कदमों पर गिर पड़े। फ़रीदी ने एक ज़ोरदार कहकहा लगाया और पिस्तौल जेब में रख लिया।

“उठो!” वह गरज कर बोला, “तुम दोनों मेरे बाप हो। दोनों खड़े होकर कांपने लगे।

“जाओ, राजू को भेज दो।” फ़रीदी ने कहा।

“राजू…” दोनों ने एक साथ कहा और हैरत एक दूसरे की तरफ देखने लगे।

“हाँ हाँ…राजू!” फ़रीदी झूमता हुआ बोला।

“कौन राजू?” एक ने कहा।

“तुम राजू को नहीं जानते। तब तुम काली बिल्ली की औलाद मालूम होते हो। जाओ उसे फौरन बुला लो, वरना मैं तुम दोनों को साथ में खत्म दूंगा।”

“सरदार…हम नहीं जानते राजू कौन है।” एक बोला।

फ़रीदी सोच में पड़ गया कि प्रिंस अदनान ने राजू वाली बात झूठ कही थी। अगर वह शराबी का रोल न कर रहा होता, तो इसी दौरान बुरा वक्त आ जाता। वह सोचने लगा कहीं ट्रांसमीटर वाली बात भी गलत न हो।

“तुम लोग गधे हो, जो राजू को नहीं जानते।” फ़रीदी ने कहा, “राजू मेरी जान, मेरी मेहबूबा है। अभी होटल में मेरे साथ शराब पी रही थी।”

“ओह यह बात है।” एक मुस्कुराकर बोला, “आप हमें उसके घर का पता बताइए, हम अभी उसे उठा लाते हैं।”

“वह जन्नत में रहती है। फ़रीदी ने लड़खड़ा कर आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन दूसरे ही पल वह गिर पड़ा।

“सरदार सरदार..!” दोनों उस पर झुकते हुए एक साथ चीखे।

“बेहोश हो गए।” एक ने कहा।

“कभी इतना नहीं पीते थे। मालूम नहीं, क्या बात है।” दूसरा बोला।

“कोई औरत साथ थी ना!” पहला मुस्कुराकर बोला, “चलो इन्हें उठा कर उनके सोने के कमरे में डाल आयें।”

दोनों फ़रीदी को उठाकर सोने के कमरे में लाए और लिटा दिया। उनके चले जाने और थोड़ी देर यूं ही लेटे रहने के बाद फ़रीदी उठा और कमरा अंदर से बंद कर लिया। सोने के पलंग के करीब एक छोटी सी मेज़ पर रेडियो रखा हुआ था। फ़रीदी को ट्रांसमीटर की तलाश थी। उसने कमरे का कोना-कोना छान मारा, मगर ट्रांसमीटर का कहीं पता न चला। वह सोचने लगा…खैर, कुछ परवाह नहीं। अब तो अदनान उसकी कैद ही में है। अगर वह आज सीधी तरह नहीं बता सका, तो क्या हुआ? कल इसकी खाल खींच ली जायेगी। अभी वह सोच रहा था कि अचानक मेज पर रखे हुए रेडियो में हल्की-हल्की सी खरखराहट पैदा होने लगी। वह चौंक पड़ा। रेडियो अपने आप कैसे चलने लगा। वह झपट कर रेडियो के करीब पहुंचा। अब रेडियो में से किसी आदमी की आवाज भी सुनाई देने लगी। बोलने वाला अंग्रेजी में कह रहा था।

“तुमने अभी तक खबर नहीं दी। तीसरी बार तुमसे कह रहा हूँ, जवाब दो कि क्या हुआ? दोपहर को तुमने खबर दी थी कि वह आ गया है।”

फ़रीदी गौर से रेडियो का जायज़ा लेने लगा। अचानक उसका हाथ एक जगह पड़ा और एक झटके के साथ रेडियो में एक खाना सा खुल गया। जहाँ फ़रीदी का हाथ लगा, वहाँ एक छोटा सा और सरसरी तौर पर देखने पर नज़र आने वाला एक स्विच लगा हुआ था। फ़रीदी ने स्विच दबाया और खाना फिर बंद हो गया। उसने खाने को फिर खोला और मुँह लगा कर कहने लगा।

“मैंने जबरदस्त धोखा खाया…कमबख्त ने सादे कागजों के ऊपर कुछ नोट लगा रखे थे…नोटों की गड्डियों में ऊपर नीचे नोट और बीच में सादा कागज था।”

“तस्वीरों का क्या हुआ?” रेडियो से आवाज आई।

“निगेटिव समेत ले गया।” फ़रीदी ने कहा।

“तुम बिल्कुल बेवकूफ हो।” रेडियो से आवाज आई, “क्या लड़की भी वापस कर दी।”

“नहीं!” फ़रीदी ने कहा, “यह मेरी पहली गलती है। उम्मीद है कि आप मुझे माफ कर देंगे।”

“खौर, जाने दो।” रेडियो से आवाज आई, “लड़की को हिफ़ाज़त में रखना और अगर हो सके, तो उस गधे को भी उठा लाओ और हाँ फ़रीदी से होशियार रहना।”

“वह बुरी तरह मेरे पीछे पड़ गया है। अगर हुक्म हो, तो उसे कत्ल कर दिया जाए।” फ़रीदी ने कहा।

“तुम उसकी फिक्र मत करो। मैं उसका कायदे से इंतज़ाम कर रहा हूँ।” रेडियो की आवाज आई।

फ़रीदी ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और बोला, “कल दिन में आपसे बात नहीं कर सकूंगा। मेरा इरादा है कि उस नवाब के बच्चे को एक अच्छा सबक पढ़ाऊं।”

“उसे सबक देने का सबसे आसान तरीका तुम्हें बताता हूँ।” रेडियो से आवाज आई, “लड़की तुम्हारे कब्जे में है ही। किसी के साथ उसकी तस्वीर खींचकर उसे रिहा कर दो और तस्वीर की एक-एक कॉपी करके हर रिश्तेदार के पास भिजवा दो।”

फ़रीदी उलझन में पड़ गया। अदनान ने कहा था कि उसे लड़की के अपहरण के बारे में कुछ मालूम ही नहीं। लियोनार्ड ने सीधे उसे गायब कर दिया था और उसी ने उसे कहीं रखा भी था।

“आपका यह ख़याल बहुत अच्छा है। ऐसा ही किया जाएगा।” फ़रीदी ने कहा, “और कोई हुक्म!”

“नहीं अब बस कल रात को फिर बात होगी।” रेडियो से आवाज आई और कमरे पर पूरी तौर से सन्नाटा छा गया। फ़रीदी ने खाना बंद कर दिया। वह सोच रहा था कि आखिर गज़ाला का पता कैसे लगाए। अगर वह उसी मकान में किसी जगह कैद  है, तब तो आसानी से पता चल जाएगा और अगर यहाँ न हुई, तो उसके लिए उसे दोबारा अदनान के साथ सख्ती करनी पड़ेगी। उसने अदनान के साथ जो रवैया अपनाया था, वह उसे बिल्कुल पसंद न था। लेकिन इसके अलावा कोई और सूरत भी तो न थी। वह अच्छी तरह जानता था कि इस किस्म के लोग मारने-पीटने से ही काबू में आते हैं और कभी कभी तो मार पीट भी उन्हें सीधे रास्ते पर लाने के लिए बेकार साबित होती है।

फ़रीदी रात भर जगता रहा। जब मकान के सारे लोग सो गए, तो वह उठा और मकान का कोना-कोना छान मारा। मगर गज़ाला का कोई पता नहीं चला।

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