चैप्टर 1 फ़रीदी और लियोनार्ड इब्ने सफ़ी का उपन्यास जासूसी दुनिया सीरीज़

Chapter 1 Fareedi Aur Leonard Ibne Safi Novel

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एक दिलचस्प खबर

डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टिगेशन की इमारत सुबह की धुंध में डूबी हुई अजीब सी लग रही थी। हिंदुस्तान के उत्तरी इलाके में यूं ही कड़ाके की ठंड पड़ती है। लेकिन बर्फ़बारी हो जाने की वजह से भी आज कई दिनों से ठंड बहुत ही ज्यादा हो गई है। ऐसा मालूम हो रहा है जैसे वह गुरुर के कोहरे की गहरी चादर पर हँसी हँसती हुई कह रही हो कि हमें क्या परवाह, चाहे जितनी ठंड पड़े। हमारे ऊपर उसका कोई असर नहीं होने वाला। हमारे अंदर ऐसे ऐसे राज़ दफ्न हैं, जिनकी हवा भी दुनिया को नहीं लगी। दुनिया के सैकड़ों राज़ हमारे सीने में दफ्न होने के लिए आते हैं और हमारे ही होकर रह जाते हैं।

उसी इमारत के कंपाउंड में कई शानदार बंगले बने हुए थे। इन्हीं बंगलों में से एक के बरामदे में एक खूबसूरत अंग्रेज औरत शायद किसी का इंतज़ार कर रही थी। उसने सोने वाले कपड़ों के ऊपर ऊनी कपड़ा पहन रखा था। उसकी निगाहें बार-बार बरामदे में लगे हुए गुलाब के पेड़ की तरफ उठ जाती थी।

थोड़ी देर बाद एक कार कंपाउंड में दाखिल हुई। अंग्रेज औरत बेताबी के साथ बरामदे में उतरकर आगे बढ़ी।

एक अधेड़ उम्र का तंदुरुस्त अंग्रेज कार से उतरा। आगे बढ़कर औरत की कमर में हाथ डाल दिया।

“और जैक्सन डार्लिंग!” औरत अंग्रेजी में बोली, “ख़ुदा का शुक्र है कि मैंने तुम्हें फिर तंदुरुस्त देख रही हूँ।”

अंग्रेज ने झुककर औरतों का माथा चूम लिया। फिर दोनों बंगले में दाखिल हो गए। यह पी.एल. जैक्सन खुफिया पुलिस का सुपरिटेंडेंट था। लगभग दो महीने से बहुत बीमार था। उसकी जुबान के नीचे एक फोड़ा निकल आया था। जिसकी वजह से वह तो गूंगा होकर रह गया था। खाने-पीने में भी परेशानी होती थी। जब तक उसके दिल में विल पावर थी, वह बीमारी की तरफ से लापरवाही करता रहा। लेकिन जब तकलीफ ज्यादा हो गई, तो उसे अस्पताल में दाखिल होना पड़ा, जहाँ उसके फोड़े का ऑपरेशन कर दिया गया।

आज दो महीने के बाद वह पूरी तरह से सेहतमंद होकर घर वापस आ गया। जो औरत उसका इंतज़ार कर रही थी, वह उसकी बीवी थी।

उसी दोपहर की बात है। दफ्तर में हमीद फ़रीदी के कमरे में हँसता हुआ दाखिल हुआ।

फ़रीदी अखबार देखने में मशगूल था। उसने चौंककर फ़रीदी की तरफ सवालिया अंदाज़ से देखा।

“शायद ऑपरेशन के सिलसिले में मिस्टर जैक्सन के दिमाग की कोई रग कट गई है।” हमीद ने कहा।

“क्या मतलब?”

“चपरासियों से लेकर डिप्टी सुपरिटेंडेंट तक को एक-एक करके अपने कमरे में बुला चुके हैं। स्टाफ की हाज़िरी का रजिस्टर सामने खोल रखा है।”

“क्यों?”

“पता नहीं!” हमीद ने मुस्कुराकर कहा, “आप को सलाम कहा है।”

“हूं…!” फ़रीदी ने उठकर सिगार का जला हुआ टुकड़ा एश ट्रे में डालते हुए कहा। अख़बार मोड़कर उसने जेब में रखा और पंजों के बल चलता हुआ कमरे से निकल गया। यह उसकी अजीबोगरीब आदत थी कि वह दफ्तर में आमतौर पर पंजों के बल चला करता था। शायद उसका मकसद यह था कि जूतों की आवाज से किसी के काम में खलल न पड़े। वह पर्दा उठाकर मिस्टर जैक्सन के कमरे में दाखिल हो गया।

“हेलो मिस्टर फ़रीदी, आप अच्छे तो हैं?” सुपरिटेंडेंट ने पूछा।

“मेहरबानी फ़रीदी ने मुस्कुराकर कहा, “मैं आपको आपकी सेहतयाबी की मुबारकबाद देता हूँ।”

“शुक्रिया!” जैक्सन ने कहा, “बैठिए!”

फ़रीदी बैठ गया।

“मैं क्या बताऊं कि मुझे अपने स्टाफ से कितनी मोहब्बत है।” जैक्सन मुस्कुराकर बोला, “मैंने दफ्तर आकर सबसे पहला काम यही किया है कि एक-एक करके सब को बुलाकर मुलाकात की।”

“हम सब आपकी मोहब्बत की कद्र करते हैं।” फ़रीदी ने कहा।

“इस दौरान मैंने कितनी तकलीफ उठाई है।” जैक्सन बोला।

“तकलीफ की चीज ही थी।” फ़रीदी ने कहा, “आपकी आवाज बदली-बदली सी महसूस कर रहा हूँ।”

“हाँ भाई…यह ऑपरेशन है ही ऐसी चीज। गले और ज़बान का ऑपरेशन हुआ था। ऐसी सूरत में आवाज़ क़ायम रह गई, इसी को गनीमत समझता हूँ।”

“वाकई ख़ुदा ने बड़ा रहम किया।” फ़रीदी ने यह जुमला यूं ही रस्मी तौर पर कहा। उसे रस्मी बातचीत से बहुत नफ़रत थी। वह एक मुँहफट और बेधड़क हकीकत का इज़हार कर देने वाला आदमी था।

“इस वक्त मैंने ख़ास तौर पर एक ज़रूरी मामले में राय करने के लिए बुलाया है।”

“कहिए!”

“कल रात अस्पताल में मुझे इंस्पेक्टर जनरल की तरफ से एक खबर मिली है, जो हम सबके लिए बहुत ही दिलचस्प है। तुमने यूरोप के मशहूर ब्लैकमेलर लियोनार्ड का नाम ज़रूर सुना होगा। वह अपने कुछ साथियों के साथ हिंदुस्तान आया है और उसने अपना हेडक्वार्टर हमारे ही शहर में बनाया है।”

“खबर तो बहुत दिलचस्प है।” फ़रीदी ने दिलचस्पी ज़ाहिर करते हुए कहा।

“मुझे तुमसे यही उम्मीद थी कि तुम इसमें ज़रूर दिलचस्पी लोगे।” जैक्सन ने हँसकर कहा, “तुम तो ऐसे मौकों की तलाश में रहा ही करते हो। अब मुझे हंड्रेड परसेंट यकीन हो गया है कि तुम सचमुच एक माहिर अफसर हो।”

“हाँ…वह लियोनार्ड…!” फ़रीदी ने जैक्सन की बात काटते हुए कहा।

“हाँ तो लियोनार्ड खतरनाक आदमी है, जिसने सारे यूरोप को हिलाकर रखा है। हद तो यह है कि स्कॉटलैंड के मशहूर जासूस भी उसे नहीं पकड़ सके।”

“जी हाँ मैं जानता हूँ कि वह एक इंटरनेशनल ब्लैकमेलर है। यूरोप के बड़े-बड़े घराने उसके नाम से कांपते हैं। उसने एक बार स्कॉटलैंडयार्ड के मशहूर जासूस पीटरसन की अच्छी ख़ासी दुर्गत बनाई थी।”

“तुम ठीक समझे। मैं उसी लियोनार्ड की बात कर रहा हूँ।” जैक्सन ने कहा, “मगर एक बात समझ में नहीं आई कि आखिर वह हिंदुस्तान क्यों आया है।”

“यहाँ के राजाओं और नवाबों को ब्लैकमेल करने के लिए।” फ़रीदी ने कहा।

“तुम्हें यह कैसे मालूम हुआ? क्या तुम उसकी मौजूदगी के बारे में पहले ही से जानते हो?”

“जी हाँ!”

“वह किस तरह?” जैक्सन ने पूछा।

फ़रीदी ने जेब से अखबार निकालकर सुपरिटेंडेंट के सामने मेज पर फैला दिया और एक विज्ञापन की तरफ इशारा किया।

सुपरिटेंडेंट पढ़ने लगा।

“यहाँ’ का वह नवाब अलर्ट हो, जो आज से तीन साल पहले किसी अय्याशी की वजह से एक मामूली पर्यटक के भेष में इंग्लैंड गया था। वहाँ उसने एक किसान की खूबसूरत लड़की पर डोरे डाले थे, लेकिन कामयाब न होने पर उसने शादी कर ली थी। फिर कुछ दिन बाद उसके साथ रहकर वह चुपके से हिंदुस्तान वापस चला आया था। उस नवाब को मालूम होना चाहिए कि अब उसकी रियासत का एक जायज़ वारिस और पैदा हो गया है। मेरे पास शादी के सर्टिफिकेट के साथ सारे सबूत मौजूद है, जिनकी कीमत पचहत्तर करोड़ रुपये है। अगर नवाब उन सारी चीजों को हासिल करना चाहे, तो इस अखबार के जरिये अपनी रज़ामंदी ज़ाहिर कर सकता है। वरना यह सारे सबूत उसके नये वारिस के हक में इस्तेमाल किए जाएंगे।

“देखा आपने!” फ़रीदी ने कहा।

जैक्सन में कुछ सोचते हुए सिर हिलाया।

“मगर यह कैसे कहा जा सकता है कि यह लियोनार्ड की हरकत है।”

“मैं करीब एक माह से इस तरह के विज्ञापनों की कटिंग इकट्ठा कर रहा हूँ।” फ़रीदी ने कहा, “और यह सब यूरोप ही के हालात से मिलते हैं और इनमें से मुझे कोई भी विज्ञापन ऐसा नज़र नहीं आया, जो किसी मोटे आसामी से न जुड़ा हो।”

“मिस्टर फ़रीदी!” जैक्सनन बोला, “वैसे तुम्हारी कदर करता हूँ कि तुम्हारी नज़रें बहुत तेज है। मैंने अभी लगभग सारे अफसरों से इस मामले के बारे में बातचीत की है। लेकिन किसी ने भी इश्तहारों का हवाला नहीं दिया।”

“अरे इसमें कौन सी खास बात है।” फ़रीदी बोला, “यह तो ऐसी चीज है, जिसने मामूली से मामूली दिमाग वाले आदमी को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया होगा।”

“तुमने अभी इस किस्म के और विज्ञापनों का ज़िक्र किया था।” जैक्सन ने कहा, “क्या उनके कटिंग तुम्हारे पास है?”

“जी हाँ दो-तीन यहीं दफ्तर में मौजूद है।” फ़रीदी ने उठते हुए कहा, “ठहरिये मैं अभी आपको दिखाता हूँ।”

फ़रीदी अंग्रेजी अखबार की कुछ कतरनें उठा लाए और बारी-बारी से उन्हें पढ़ने लगा।

“वो महारानी साहिबा ध्यान दें, जो अय्याशी के लिए हर साल पेरिस जाती है। उनके वह खत मेरे पास मौजूद हैं, जो उन्होंने अपने आशिक को लिखे थे। उन खातों की कीमत सोलह करोड़ है। अदायगी न होने की सूरत में ये खत छपवा दिये जायेंगे। सौदा इसी अखबार के जरिये तय किया जा सकता है।”

“दूसरा इश्तहार यह है:

वह हसीन-ओ-ज़मील नवाबज़ादी ध्यान दें, जो पिछले साल अपने आशिक को साथ लेकर स्विजरलैंड गई थी। मैं देखने में उनका प्राइवेट सेक्रेट्री था। मेरे पास उन दोनों की कुछ तस्वीरें हैं, जिन्हें छपवा देना बहुत ही दिलचस्प साबित हो सकता है। उन तस्वीरों की कीमत बीस करोड़ रुपये है। इस सिलसिले में उसी कीमत के जेवरात कबूल किए जा सकते हैं। अदायगी न होने की सूरत में सब तस्वीरें छपवा कर बांट दी जायेंगी। इस अखबार द्वारा रज़ामंदी ज़ाहिर की जा सकती है।”

“इसी तरह के और भी इश्तहार हैं। लीजिए आप खुद ही पढ़ लीजिए।” फ़रीदी ने अखबार की सारी कतरनें जैक्सन की तरफ बढ़ा दी।

“हैरत है कि पुलिस ने अभी तक इस तरफ ध्यान नहीं दिया।” जैक्सन ने कहा, “यह तो खुला ज़ुर्म है। लगता है यह अखबार ब्लैकमेलर का हौसला बढ़ा रहा है। उसे तो फौरन जब्त करके उस पर मुकदमा चलाना चाहिए।”

दरीदी हँसने लगा।

“लियोनार्ड और उसके साथ रहने वाले मामूली आदमी नहीं है। वे इतनी आसानी से पकड़ में नहीं आ सकते।” फ़रीदी ने कहा।

“मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझा।”

“ज़रा आज के अखबार के एडिटोरियल का यह हिस्सा देखिए।” फ़रीदी ने अखबार जैक्सन की तरफ बढ़ाते हुए कहा।

जैक्सन पढ़ने लगा।

“हमने अपने पाठकों की दिलचस्पी के लिए ऐसे विज्ञापनों के नमूने छापने का सिलसिला किया है, जो यूरोप में ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। आज के अखबार में भी आपको ऐसा ही विज्ञापन मिलेगा। हम आगे भी आपकी दिलचस्पी के लिए उनका सिलसिला जारी रखेंगे।”

जैक्सन पर चुकने के बाद फ़रीदी की तरफ हैरत से देखने लगा।

“मगर यह तो बताओ कि तुमने आज तक किसी का जवाब भी अखबार में देखा है या नहीं।” जैक्सन ने कहा।

“ऐसी सूरत में जबकि खुद अखबार वाले मिले हुए हों, जवाब छापने की ज़रूरत ही क्या रह जाती है।” फ़रीदी ने कहा।

“लेकिन यह कैसे कहा जा सकता है कि अखबार वाले मिले हुए हैं।”

“उन खातों के बारे में एडिटोरियल नोट पढ़कर कहा जा सकता है।”

“बात दरअसल यह है मिस्टर फ़रीदी कि तुम बातों को बहुत ही घुमा-फिराकर सोचने की आदी हो।” जैक्सन ने कहा, “ऐसा हो सकता है कि इस किस्म के इश्तेहार दिलचस्पी के लिए ही छापे जाते हों।”

“लेकिन मुझे तो इसमें कोई भी दिलचस्पी की बात नज़र नहीं आती।” फ़रीदी ने कहा, “और अगर दिलचस्पी ही के लिए इन का सिलसिला शुरू किया गया होता, तो दो एक इश्तेहार काफ़ी थे या फिर हर इश्तेहार में कोई नई बात होनी चाहिए थी। अब तक लगभग पंद्रह इश्तेहार छप चुके हैं, लेकिन सब एक जैसे। हर एक में एक नये ढंग से रुपये की मांग की गई है।”

“खैर, भाई यही होगा।” जैक्सन ने उकताकर कहा, “मुझे दरअसल तुम्हें यह इंफॉर्मेशन देनी थी कि लियोनार्ड का पता लगाने के लिए छ: जासूसों के कमेटी बनाई गई है, जिसमें तुम्हारा भी नाम है।”

“तो क्या सबको काम के एक ही तरीके पर अमल करना पड़ेगा।” फ़रीदी ने कहा।

“बिल्कुल!” जैक्सन ने मेज़ पर झुकते हुए कहा, “यह ज़रूरी है।”

“लेकिन मैं इसका आदी नहीं!”

“मजबूरी है यह तो करना ही पड़ेगा। तुम्हें रोजाना रिपोर्ट देनी पड़ेगी।”

“आप जानते हैं कि मैं इस पर अमल नहीं कर सकता।” फ़रीदी ने कहा।

“इस बार तो तुम्हें इस पर अमल करना पड़ेगा क्योंकि सारे आर्डर ऊपर से आए हैं।” जैक्सन बोला।

“और अगर मैं इंकार कर दूं?” फ़रीदी ने कहा।

“क्यों बच्चों जैसी बात कर रहे हो?” जैक्सन ने ज़ोर देते हुए कहा, “यहाँ रहकर तुम्हें आर्डर का पाबंद होना पड़ेगा।”

“और अगर मैं इस्तीफा दे दूं तो!”

“मैं तुम्हें इसकी राय न दूंगा।” जैक्सन बोला।

“लेकिन मैं अपने उसूल के खिलाफ़ एक कदम भी नहीं आगे बढ़ सकता।”

“आखिर इसमें तुम्हारा नुकसान है क्या है?” जैक्सन झुंझला कर बोला, “तुम्हारे जैसा आदमी तो मेरी नज़रों से गुज़रा ही नहीं। मुझे डर है कि तुम कहीं अपनी जान जोखिम में न डाल लो। हमें तुम्हारी स्कीमों की ख़बर न होगी, तो हम तुम्हारी हिफाज़त कैसे करेंगे?”

“आपका फ़रमान सही है।” फ़रीदी ने धीरे से कहा, “और आप यह भी जानते हैं कि मैं इस डिपार्टमेंट में रोटियों के लिए नहीं आया। मेरी तबीयत ने इस मनपसंद पेशे में आने पर मजबूर किया है। मेरा उस काम में दिल ही नहीं लगता, जिसमें कदम कदम पर मौत का खतरा न मंडरा रहा हो।”

“निजी तौर पर यह चीज तुम्हारे लिए ठीक हो सकती है। लेकिन डिपार्टमेंट के हक में ठीक नहीं!”

“लेकिन इसके पहले तो मुझे इस बात पर कभी मजबूर नहीं किया गया।” फ़रीदी ने कहा।

“भाई पहले की बात और है। पहले तुम्हारा ताल्लुक सिर्फ मुझसे था। लेकिन इस बार सीधे इंस्पेक्टर जनरल का मामला है।”

“खैर, देखा जाएगा।” फ़रीदी ने कहा, “मैं कोशिश करूंगा क्योंकि उनकी हिदायतों पर अमल करूं।”

“आज शाम तक बाकी पांच जासूस भी यहाँ पहुंच जाएंगे। मैं कल उनसे तुम्हारा इंट्रोडक्शन करा दूंगा। यह सब अलग-अलग स्टेट के बेहतरीन दिमाग है।’

थोड़ी देर बाद फ़रीदी वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला आया।

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