ब्राह्मण की बेटी शरत चंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास | Brahman Ki Beti Novel By Sharat Chandra Chattopadhyay

ब्राह्मण की बेटी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास | Brahman Ki Beti Novel By Sharat Chandra Chattopadhyay




Brahman Ki Beti Novel By Sharat Chandra Chattopadhyay

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Brahman Ki Beti Novel By Sharat Chandra Chattopadhyay




Summary 

शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का उपन्यास “ब्राह्मण की बेटी” एक ऐसी कहानी है, जो समाज के रूढ़िवादी ढांचे और उसमें फंसी एक नारी की व्यथा को बखूबी उजागर करता है। यह उपन्यास बंगाल के ग्रामीण जीवन की पृष्ठभूमि में रचा गया है, जहां जाति, धर्म और रीति-रिवाज लोगों के जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं।

उपन्यास की नायिका, एक ब्राह्मण की बेटी है, जो समाज के बनाए ढांचे में फंसी हुई है। उसे बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि एक स्त्री का जीवन सिर्फ विवाह और परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमता है। वह अपने सपनों और इच्छाओं को दबाकर समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करती है। 

लेकिन, जैसे-जैसे वह बड़ी होती है, वह समाज के इन बंधनों को चुनौती देना शुरू कर देती है। वह स्वतंत्रता और समानता की चाह रखती है। लेकिन, समाज उसे हर कदम पर रोकने की कोशिश करता है। 

“ब्राह्मण की बेटी” एक ऐसी कहानी है, जो हमें समाज के उन दोषों को दिखाती है, जो सदियों से महिलाओं को दबाते आए हैं। यह उपन्यास हमें यह भी बताता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने सपनों को पूरा करने के लिए समाज के विरोध का सामना कर सकता है। 

यह उपन्यास सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि लाखों महिलाओं की कहानी है, जो समाज के बनाए ढांचे में फंसी हुई हैं। यह उपन्यास हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें समाज के उन रूढ़िवादी विचारों को बदलने की जरूरत है, जो महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकते हैं। 




Chapter List

Chapter 1 Chapter 2
Chapter 3 Chapter 4
Chapter 5 Chapter 6
Chapter 7 Chapter 8
Chapter 9 Chapter 10
Chapter 11 Chapter 12